पंढरपुर वारी 2025: अब तक 8.5 लाख श्रद्धालु पहुंचे! जानिए विठोबा की नगरी का हाल, सुरक्षा और भक्तों का उत्साह

हर साल की तरह इस बार भी पंढरपुर वारी यात्रा ने महाराष्ट्र में भक्ति, परंपरा और जनसैलाब का अनोखा संगम बना दिया है। अब तक 8.5 लाख से अधिक भक्त पंढरपुर पहुंच चुके हैं, और हर पल संख्या बढ़ती जा रही है।

संत तुकाराम महाराज और संत ज्ञानेश्वर महाराज की पालखी जब विठोबा की नगरी की ओर बढ़ती है, तो रास्ते में हजारों श्रद्धालु ‘ज्ञानबा-तुकाराम’ की गूंज से वातावरण को भक्तिमय बना देते हैं।

पंढरपुर वारी क्या है?

पंढरपुर वारी महाराष्ट्र की सबसे पवित्र और ऐतिहासिक यात्राओं में से एक है, जिसमें लाखों वारीकरी (भक्त) संत तुकाराम और संत ज्ञानेश्वर की पालखी लेकर पैदल पंढरपुर के विठोबा मंदिर पहुंचते हैं। यह यात्रा लगभग 21 दिन तक चलती है और सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय किया जाता है।

इस साल की खास बातें

भक्तों की रिकॉर्ड संख्या:
अब तक 8.5 लाख से ज्यादा श्रद्धालु पहुंच चुके हैं, जिसमें महाराष्ट्र के साथ-साथ मध्यप्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना से भी लोग आए हैं।

महिलाओं की बढ़ी भागीदारी:
इस साल महिला वारीकरी की संख्या में भारी बढ़ोत्तरी हुई है। कई महिला मंडलियां पालखी के साथ चल रही हैं।

झांकियां और भजन मंडलियां:
सैकड़ों झांकियां, पारंपरिक वाद्ययंत्रों के साथ भजन मंडलियां भक्तों के मन को मोह रही हैं।

खिचड़ी भंडारा:
हर दिन हजारों लोगों को खिचड़ी और प्रसाद वितरित किया जा रहा है।

सुरक्षा और व्यवस्था

इस वर्ष सुरक्षा व्यवस्था पहले से बेहतर की गई है:

2000+ पुलिस जवान तैनात

CCTV और ड्रोन निगरानी

200+ मेडिकल स्टाफ और एंबुलेंस

24×7 कंट्रोल रूम

नगरपालिका द्वारा विशेष सफाई अभियान भी चलाया जा रहा है ताकि शहर स्वच्छ बना रहे।

मौसम की मार और भक्तों की आस्था

हाल ही में बारिश के कारण कीचड़ की स्थिति बनी, लेकिन भक्तों की आस्था पर इसका कोई असर नहीं पड़ा। भक्त कीचड़ में चलकर भी विठोबा के दर्शन करने में लगे हुए हैं।

भक्तों की जुबानी

“हम हर साल यहां आते हैं, लेकिन इस बार की भीड़ और भक्ति का माहौल सबसे अलग है। विठोबा सबकी मनोकामना पूरी करें।” – वारीकरी सविता ताई, पुणे

विठोबा मंदिर दर्शन व्यवस्था

VIP दर्शन के लिए ऑनलाइन स्लॉट बुकिंग चालू

सामान्य भक्तों के लिए 2.5 घंटे की औसत लाइन

मंदिर में हर घंटे 5000 भक्तों को प्रवेश मिल रहा है

पंढरपुर वारी 2025 न केवल एक धार्मिक यात्रा है, बल्कि यह महाराष्ट्र की संस्कृति, परंपरा और जनभावना का प्रतीक है। लाखों लोग कठिनाईयों को पार कर सिर्फ विठोबा के दर्शन के लिए आते हैं – यही आस्था की सच्ची मिसाल है।

“माझा विठोबा”

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