भारत में शिक्षा का एक नया और अनोखा प्रयोग शुरू हुआ है। अब बच्चों को हफ्ते में 4 दिन स्कूल में पढ़ाई और 1 दिन fieldwork (व्यवहारिक कार्य) कराया जाएगा। यह नया मॉडल कई राज्यों में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया गया है।
क्या है यह नया मॉडल?
इस मॉडल के अनुसार:
सोमवार से गुरुवार: क्लासरूम में किताबों और subjects की पढ़ाई
शुक्रवार: स्कूल के बाहर fieldwork, जैसे–बाज़ार सर्वे, विज्ञान प्रयोग, गांव दौरे, बागवानी, या community सेवा
इसका मकसद है बच्चों को थ्योरी के साथ-साथ प्रैक्टिकल ज्ञान देना।

क्यों लाया गया यह बदलाव?
सरकार और शिक्षा विशेषज्ञों के अनुसार:
बच्चे सिर्फ रटना नहीं, समझकर और करके सीखें
real-life problems का सामना कर सकें
teamwork, communication और problem-solving जैसे 21वीं सदी के कौशल सीखें
exam pressure से कुछ राहत भी मिले
किन राज्यों में शुरू हुआ है?
दिल्ली, कर्नाटक, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में इसे शुरू किया गया है

CBSE और राज्य बोर्ड दोनों इसे प्रायोगिक तौर पर अपना रहे हैं
अगर सफल रहा, तो यह मॉडल जल्द ही पूरे भारत में लागू किया जा सकता है।
माता-पिता और शिक्षकों की क्या राय है?
कई माता-पिता और शिक्षक इस मॉडल से खुश हैं। उनका मानना है कि इससे बच्चे:
ज़्यादा actively सीखेंगे
मोबाइल और टीवी से दूर रहेंगे
सीखने में रुचि बढ़ेगी
पढ़ाई boring नहीं लगेगी
4 दिन स्कूल + 1 दिन प्रैक्टिकल वाला यह मॉडल भारत में शिक्षा की सोच को बदल सकता है। यह बच्चों को जीवन के लिए तैयार करने का एक सार्थक कदम है, ना कि सिर्फ परीक्षाओं के लिए।
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