भारतवर्ष की भूमि सदा से ही महान संतों और तपस्वियों की कर्मभूमि रही है। इन्हीं महान आत्माओं में एक दिव्य नाम है: नीम करौली बाबा। वे केवल एक संत नहीं थे, बल्कि ईश्वर के जीवित प्रतीक माने जाते हैं। आज उनका नाम केवल भारत ही नहीं, बल्कि अमेरिका, इंग्लैंड, जर्मनी और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में भी श्रद्धा से लिया जाता है। उनके चमत्कार, उनकी करुणा, और उनका मार्गदर्शन आज भी करोड़ों लोगों के जीवन का हिस्सा बना हुआ है।
प्रारंभिक जीवन और सन्यास की ओर यात्रा
नीम करौली बाबा का जन्म वर्ष 1900 के आसपास उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर गाँव में हुआ था। उनका वास्तविक नाम लक्ष्मी नारायण शर्मा था। वे ब्राह्मण परिवार से थे और बचपन से ही अत्यंत बुद्धिमान, शांत और आध्यात्मिक प्रवृत्ति के थे। मात्र 17 वर्ष की आयु में उन्होंने गृहस्थ जीवन त्यागकर सन्यास की राह चुन ली। इसके बाद वे वर्षों तक हिमालय और उत्तर भारत के अनेक तीर्थस्थलों पर तपस्या करते रहे।
“नीम करौली बाबा” नाम कैसे पड़ा?
एक बार वे उत्तराखंड के नीम करौली गांव के पास ट्रेन में बिना टिकट यात्रा कर रहे थे। टिकट चेकर ने उन्हें उतार दिया। लेकिन ट्रेन तब तक नहीं चली जब तक उन्हें वापस नहीं बैठाया गया। स्टेशन मास्टर ने बाबा से क्षमा मांगी और उन्हें आदरपूर्वक पुनः ट्रेन में चढ़ाया। तभी से उन्हें नीम करौली बाबा के नाम से जाना जाने लगा। यह पहली घटना थी जिसने सबका ध्यान उनकी ओर खींचा।

कैंची धाम आश्रम – आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र
नीम करौली बाबा द्वारा स्थापित किया गया सबसे प्रमुख आश्रम उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित है, जिसे कैंची धाम कहा जाता है। यह आश्रम हर वर्ष 15 जून को आयोजित भंडारे के लिए प्रसिद्ध है, जहाँ लाखों श्रद्धालु जुटते हैं। यहां आने वाले लोगों का मानना है कि बाबा की कृपा से जीवन में असंभव भी संभव हो जाता है।

विश्व प्रसिद्ध भक्त – पश्चिमी दुनिया में भी फैला प्रभाव
नीम करौली बाबा की ख्याति इतनी व्यापक थी कि दुनिया के सबसे प्रसिद्ध तकनीकी उद्यमी भी उनसे प्रभावित हुए। Apple के संस्थापक स्टीव जॉब्स भारत आकर बाबा के आश्रम में रुके। बाद में उन्होंने फेसबुक के संस्थापक मार्क ज़ुकरबर्ग को भी सलाह दी कि वे भारत जाकर नीम करौली बाबा के कैंची धाम जाएँ। हॉलीवुड अभिनेत्री जूलिया रॉबर्ट्स और प्रसिद्ध कीर्तन गायक कृष्णा दास भी बाबा के भक्तों में शामिल हैं।
बाबा के चमत्कार – आस्था को विज्ञान से ऊपर रख देने वाली घटनाएं
- बाबा के पास आने वाले व्यक्ति को कुछ कहने की आवश्यकता नहीं होती थी। वे पहले ही सब जान लेते थे।
- एक भक्त के घर आग लगने वाली थी, बाबा ने दूर बैठे ही कहा, “घर के उत्तर कोने में पानी डाल दो” – और आग लगने से पहले ही सब सुरक्षित हो गया।
- एक महिला कैंसर से पीड़ित थी। बाबा ने उसे केवल प्रसाद दिया और कहा – “चिंता न करो”। कुछ महीनों में वह पूरी तरह ठीक हो गई।
- ट्रेन, समय और प्राकृतिक नियम उनके सामने बंधे हुए प्रतीत होते थे। जो भी मन से उन्हें पुकारता, उसकी मदद किसी न किसी रूप में हो जाती।
बाबा का संदेश – सेवा, प्रेम और भक्ति
नीम करौली बाबा का मुख्य संदेश था – “सबको प्रेम करो, सबकी सेवा करो, भगवान का नाम लो।” उन्होंने कभी किसी धर्म या जाति में भेद नहीं किया। वे कहते थे – “जिसने अपने अंदर प्रभु को पहचान लिया, उसने सब कुछ पा लिया।”
उनका मानना था कि हनुमान जी ही सबके रक्षक हैं। बाबा स्वयं भी हनुमान जी के परम भक्त थे। कई भक्तों का तो यह भी मानना है कि बाबा स्वयं हनुमान जी के अवतार थे।

महा-समाधि और आज भी जीवंत उपस्थिति
11 सितंबर 1973 को वृंदावन में बाबा ने अपनी महा-समाधि ली। लेकिन आज भी लोग मानते हैं कि बाबा की उपस्थिति उनके जीवन में बनी हुई है। बाबा के आश्रमों में हर दिन भक्तों की भीड़ उमड़ती है। उनकी तस्वीर को देखकर ही लोग भाव-विभोर हो जाते हैं। उनकी शक्ति समय से परे है।
नीम करौली बाबा केवल एक संत नहीं थे – वे चलती-फिरती आध्यात्मिक शक्ति थे। उनके चमत्कार, उनका प्रेम, और उनकी शिक्षा आज के युग में भी उतनी ही प्रासंगिक हैं। जो भी सच्चे मन से उन्हें याद करता है, उसकी राह अपने आप बनती जाती है। वे हमें सिखाते हैं कि सेवा और भक्ति के मार्ग पर चलकर ही जीवन को सार्थक बनाया जा सकता है।
अगर आपने अब तक बाबा के कैंची धाम के दर्शन नहीं किए हैं, तो एक बार अवश्य जाएं – हो सकता है कि बाबा स्वयं आपको बुला रहे हों।
सच्ची खबरों और सही समझ के लिए जुड़े रहिए SochVimarsh के साथ।